पिछले कई महीनों से Goa में हजारों लोग protest कर रहे हैं एक Critical Environmental issue को लेकर, इनके Mollem National park को लेकर। गोवा में 19 दिसंबर 2020 को कुछ protest साइन बोर्ड लेकर खड़े थे। तथा उन्हें जो टी-शर्ट पहनी हुई थी उस पर लिखा हुआ था "SAVE MOLLEM" यह लोग Goa में शांतिपूर्ण तरीके से अपना protest कर रहे थे। इनमें कुछ बच्चे भी थे, पुलिस ने इन लोगों को डिटेन कर लिया। तो आइए जानते हैं, कि क्या कारण है यह Goa people protest against coal and development project in hindi करने का।
पिछले 9 महीनों से, गोवा के लोग सिर्फ महामारी से नही बल्कि इन 3 project की घोषणा ने कोयले की handling से होने वाले प्रदूषण की आशंका को दोगुना कर दिया है, इसके अलावा एक wildlife senchuri के भविष्य पर सवालिया निशान लगा दिया है। वह के लोग घुटने टेकने से लेकर सोशल मीडिया कैंपेन चलाने तक कैपेन चलाये है।,
राज्य सरकार ने Goa के पश्चिमी घाटों में संरक्षित क्षेत्रों मे तीन project को मंजूरी दे दी है। ये परियोजनाएं - रेलवे लाइनों की दोहरी ट्रैकिंग, NH4A राजमार्ग का चौड़ी करण और 400-KB बिजली लाइन बिछाने
यह project भगवान महावीर वन्यजीव अभ्यारण्य और Mollem National park से होकर गुजरने के लिए सिलेक्ट किए गए हैं।
अगर आसान भाषा में कहा जाए तो सरकार Development के नाम पर एक Ecological sensitive area में जंगलों को काटना चाहती है, जनता से बिना Discus किए।
जिस एरिया में सरकार Development करना चाहती है, वह एरिया है, Mollem National park और भगवान महावीर सेंचुरी, यह Goa का सबसे बड़ा संरक्षित इलाक़ा है, यहाँ दुनिया के 8 Hottest Hotspot of Biodiversity में आता है
इस जगह पर high veraiti के plant और Animal पाए जाते हैं यह दुनिया में बहुत कम जगह पाए जाते हैं।यहां पर बहुत अच्छे Tourist Attraction भी है जैसे कि दूध सागर झरना, Devils canyon, Tambdi surla temple है जो attraction का केंद्र है।
यहां पर सरकार तीन project को लाना चाहती है
यह तीनों project इस Wild life century के बीचो बीच से होकर गुजरते हैं।
इन तीनों project के लिए पेड़ काटे जाएंगे
पहली समस्या- सरकार ने इन project को शुरू करने के पहले कोई असेसमेंट नहीं किया सही तरीके से Process follow नहीं किया ना जनता से इस बारे में बात की और इन तीन में से दो project तब अप्रूव किए गए जब देश में Lock down लगा हुआ था कोविड-19 के कारण मार्च के महीने में इन project का Approval Conferencing के जरिए किया गया
दूसरी समस्या - सरकार गोवा को coal hub में बदलना चाहती है। विरोधियों का मानना है, कि यह सिर्फ कुछ पेड़ो और जानवरों की बात नहीं है, सरकार गोवा को coal hub में बदलना चाहती है, यहां पर जो रेलवे लाइन और हाई-वे बनाने की बात हो रही है, यह जनता की सहायता के लिए नहीं बल्कि बड़े बड़े कारपोरेट की सहायता के लिए किया जा रहा है, यह इस कारण किया जा रहा है ताकि कोयले की ट्रांसपोर्टेशन आसानी से की जा सके यह तीनों project सरकार के सागरमाला परियोजना का हिस्सा है जो कि सरकार ने 2016 में लागू किया था गोवा के port डवलपमेंट इस project का उद्देश्य था कि गोवा को coal ट्रांसपोर्टेशन कॉरिडोर बनाया जा सके Mormugao Port यह port साउथ goa में स्थित है इस port के ट्रस्ट का कहना है कि यह 2030 तक इनका 51.6 मिलियन coal import करना चाहते हैं
रेलवे लाइन का उपयोग अगर coal transportation के लिए किया जाएगा तो कोयला का जो dust होता है वह हवा की वजह से 5 से 15 किलोमीटर तक Travel कर सकता है और डिपेंड करता है ट्रेन की स्पीड पर
यह coal dust सिर्फ पर्यावरण के लिए ही नहीं बल्कि खेती उद्योग टूरिस्ट के लिए व जनता के लिए भी खतरा हो सकता हे तो वहां से आने वाले टूरिस्ट वहां के आम लोग को बहुत परेशानी होगी कोई टूरिस्ट गोवा नहीं आना चाहेगा और इसी कारण से 2013 मैं मनोहर पर्रिकर जो उस समय गोवा के सी एम थे उन्होंने इस प्रोजेक्ट के लिए मना कर दिया था इसका मुख्य कारण यही है जिसके कारण लोग गोवा में हाथ में बैनर लेकर खड़े हैं जिन पर लिखा है GOYANT KOLLSO NAKA इसका मतलब है कि हमें गोवा में कोल नहीं चाहिए
तीसरी समस्या - Habitet forgmenyation इसका मतलब होता है कि एक बड़े क्षेत्र को छोटे छोटे हिस्से में बांट देना जिस में जो जानवर उस क्षेत्र में निवास करते हैं वह एक हिस्से से दूसरे हिस्से पर ना जा सके यह अक्सर तब होता है जब किसी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के बीच से हाई-वे का निर्माण किया जाता है मान लेते हैं कि इस क्षेत्र में कुल 100 हिरण रहते हैं अगर इन इसे दो हिस्सों में बांट दिया जाए तो यह भी 50 50 को अलग-अलग दो हिस्सों में बढ़ जाएंगे जिससे इनकी नस्ल बढ़ने की वजह और घटने लगेगी अगर इस प्रोजेक्ट के बारे में बात करें तो यह प्रोजेक्ट किस संरक्षित क्षेत्र को तीन हिस्सों में बांट देगा और एनिमल को नष्ट होने के 3 गुना चांस भी बढ़ जाएंगे
जनता ने इस project के खिलाफ अलग-अलग तरीके से पोस्ट किया है जिसमें social media
पर ग्राउंड पर protest हुए हैं डेढ़ सौ से ज्यादा साइंटिस्ट ने इस protest के खिलाफ सरकार को लेटर लिखे हैं इस protest में बच्चों ने तथा गोवा के आम लोगों ने अपना विरोध जताया है।
पिछले 9 महीनों से, गोवा के लोग सिर्फ महामारी से नही बल्कि इन 3 project की घोषणा ने कोयले की handling से होने वाले प्रदूषण की आशंका को दोगुना कर दिया है, इसके अलावा एक wildlife senchuri के भविष्य पर सवालिया निशान लगा दिया है। वह के लोग घुटने टेकने से लेकर सोशल मीडिया कैंपेन चलाने तक कैपेन चलाये है।,
राज्य सरकार ने Goa के पश्चिमी घाटों में संरक्षित क्षेत्रों मे तीन project को मंजूरी दे दी है। ये परियोजनाएं - रेलवे लाइनों की दोहरी ट्रैकिंग, NH4A राजमार्ग का चौड़ी करण और 400-KB बिजली लाइन बिछाने
यह project भगवान महावीर वन्यजीव अभ्यारण्य और Mollem National park से होकर गुजरने के लिए सिलेक्ट किए गए हैं।
अगर आसान भाषा में कहा जाए तो सरकार Development के नाम पर एक Ecological sensitive area में जंगलों को काटना चाहती है, जनता से बिना Discus किए।
जिस एरिया में सरकार Development करना चाहती है, वह एरिया है, Mollem National park और भगवान महावीर सेंचुरी, यह Goa का सबसे बड़ा संरक्षित इलाक़ा है, यहाँ दुनिया के 8 Hottest Hotspot of Biodiversity में आता है
इस जगह पर high veraiti के plant और Animal पाए जाते हैं यह दुनिया में बहुत कम जगह पाए जाते हैं।यहां पर बहुत अच्छे Tourist Attraction भी है जैसे कि दूध सागर झरना, Devils canyon, Tambdi surla temple है जो attraction का केंद्र है।
यहां सरकार क्या विकास करना चाहती है।
यहां पर सरकार तीन project को लाना चाहती है
- पहला project - चार लेन का हाईवे सरकार बनाना चाहती है
- दूसरा project - रेलवे लाइन बनाना चाहती है
- तीसरा project -पावर ट्रांसमिशन लाइन बनाना चाहती है
यह तीनों project इस Wild life century के बीचो बीच से होकर गुजरते हैं।
इन तीनों project के लिए पेड़ काटे जाएंगे
- Railway Line के लिए लगभग 20,000 पेड़ काटे जाएंगे।
- Highway के लिए लगभग 40,000 पेड़ काटे जाएंगे।
- Power transmission लाइन के लिए लगभग 5000 पेड़ काटे जाएंगे।
इस project की मुख्य तीन Problem है।
पहली समस्या- सरकार ने इन project को शुरू करने के पहले कोई असेसमेंट नहीं किया सही तरीके से Process follow नहीं किया ना जनता से इस बारे में बात की और इन तीन में से दो project तब अप्रूव किए गए जब देश में Lock down लगा हुआ था कोविड-19 के कारण मार्च के महीने में इन project का Approval Conferencing के जरिए किया गया
दूसरी समस्या - सरकार गोवा को coal hub में बदलना चाहती है। विरोधियों का मानना है, कि यह सिर्फ कुछ पेड़ो और जानवरों की बात नहीं है, सरकार गोवा को coal hub में बदलना चाहती है, यहां पर जो रेलवे लाइन और हाई-वे बनाने की बात हो रही है, यह जनता की सहायता के लिए नहीं बल्कि बड़े बड़े कारपोरेट की सहायता के लिए किया जा रहा है, यह इस कारण किया जा रहा है ताकि कोयले की ट्रांसपोर्टेशन आसानी से की जा सके यह तीनों project सरकार के सागरमाला परियोजना का हिस्सा है जो कि सरकार ने 2016 में लागू किया था गोवा के port डवलपमेंट इस project का उद्देश्य था कि गोवा को coal ट्रांसपोर्टेशन कॉरिडोर बनाया जा सके Mormugao Port यह port साउथ goa में स्थित है इस port के ट्रस्ट का कहना है कि यह 2030 तक इनका 51.6 मिलियन coal import करना चाहते हैं
रेलवे लाइन का उपयोग अगर coal transportation के लिए किया जाएगा तो कोयला का जो dust होता है वह हवा की वजह से 5 से 15 किलोमीटर तक Travel कर सकता है और डिपेंड करता है ट्रेन की स्पीड पर
यह coal dust सिर्फ पर्यावरण के लिए ही नहीं बल्कि खेती उद्योग टूरिस्ट के लिए व जनता के लिए भी खतरा हो सकता हे तो वहां से आने वाले टूरिस्ट वहां के आम लोग को बहुत परेशानी होगी कोई टूरिस्ट गोवा नहीं आना चाहेगा और इसी कारण से 2013 मैं मनोहर पर्रिकर जो उस समय गोवा के सी एम थे उन्होंने इस प्रोजेक्ट के लिए मना कर दिया था इसका मुख्य कारण यही है जिसके कारण लोग गोवा में हाथ में बैनर लेकर खड़े हैं जिन पर लिखा है GOYANT KOLLSO NAKA इसका मतलब है कि हमें गोवा में कोल नहीं चाहिए
तीसरी समस्या - Habitet forgmenyation इसका मतलब होता है कि एक बड़े क्षेत्र को छोटे छोटे हिस्से में बांट देना जिस में जो जानवर उस क्षेत्र में निवास करते हैं वह एक हिस्से से दूसरे हिस्से पर ना जा सके यह अक्सर तब होता है जब किसी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के बीच से हाई-वे का निर्माण किया जाता है मान लेते हैं कि इस क्षेत्र में कुल 100 हिरण रहते हैं अगर इन इसे दो हिस्सों में बांट दिया जाए तो यह भी 50 50 को अलग-अलग दो हिस्सों में बढ़ जाएंगे जिससे इनकी नस्ल बढ़ने की वजह और घटने लगेगी अगर इस प्रोजेक्ट के बारे में बात करें तो यह प्रोजेक्ट किस संरक्षित क्षेत्र को तीन हिस्सों में बांट देगा और एनिमल को नष्ट होने के 3 गुना चांस भी बढ़ जाएंगे
Goa people protest against coal
जनता ने इस project के खिलाफ अलग-अलग तरीके से पोस्ट किया है जिसमें social media
पर ग्राउंड पर protest हुए हैं डेढ़ सौ से ज्यादा साइंटिस्ट ने इस protest के खिलाफ सरकार को लेटर लिखे हैं इस protest में बच्चों ने तथा गोवा के आम लोगों ने अपना विरोध जताया है।