कम्प्यूटर में स्टोरेज का अपना एक विशेष स्थान है। इसे हम इस तरह समझ सकते हैं, मान लो हमारे पास एक साइकिल बनाने का कारखाना है। अब या तो हमारी साइकिल जैसे ही बने तुरंत बिक जाये, अगर नहीं बिकती तो हमें उन साइकल्स को कहीं सुरक्षित रखना पड़ेगा, जहाँ से हम उन्हें बाद में जरुरत पड़ने पर बेच सके।
जिस तरह हमें साइकिल को सुरक्षित रखने के लिए एक गोदाम या स्टोर की जरूरत पड़ती है, उसकी प्रकार हमें कम्प्यूटर के आउटपुट या इनफॉर्मेशन को सुरक्षित रखने के लिए स्टोरेज की जरूरत पड़ती है। इसे कम्प्यूटर की याददाश्त भी कहा जाता है। मनुष्य में जहाँ बातों को याद रखने के लिए मस्तिष्क होता है, उसकी प्रकार कम्प्यूटर में डाटा और इनफार्मेशन को याद रखने के लिए मेमोरी होती है।
प्राइमरी मेमोरी, कम्प्यूटर को स्टार्ट करने में मदद करती है, क्योंकि ऑपरेटिंग सिस्टम को स्टार्ट करने को कहते हैं। फर्मवेयर एक सॉफ्टवेयर होते हैं, जो कम्प्यूटर को बूट करने में मदद करते हैं। बूटिंग ऑपरेटिंग सिस्टम को स्टार्ट करने को कहते हैं। फर्मवयेर एक सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर को मिलाकर बनता है, इसमें हार्डवेयर में सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल किया जाता है। जैसे- मॉडेम और राउटर।
स्टोरेज डिवाइस (Storage device) क्या है?
स्टोरेज कम्प्यूटर में इंटरनल स्टोरेज एरिया है, जिसका काम कम्प्यूटर में डाटा और इनफार्मेशन को सुरक्षित करना होता है। कम्प्यूटर में हम डाटा और इनफार्मेशन को दो तरीके से सुरक्षित कर सकते हैं – एक तो प्राइमरी मेमोरी, जिसमें हम डाटा को अस्थाई रूप से रखते हैं और दूसरा सेकेण्डरी मेमोरी, जिसमें हम डाटा या इनफॉर्मेशन को स्थाई रूप से सुरक्षित करते हैं।
उदाहरण - हार्डडिस्क, RAM
Types of Storage device :-
1. Floppy Disk Drive
हार्ड डिस्क ड्राइव (hard disk drive) की तरह ही कुछ वर्षों पहले तक फ्लॉपी को पीसी (PC) के डाटा सेन्टर ‘Data Center” की तरह उल्लेख किया जाता था। दरअसल, पूर्व के पीसी (PC) में हार्डडिस्क नहीं होती थी। उनका तमाम डाटा स्टोरेज फ्लॉपियों में हुआ करता था। एक वक्त था जब फ्लॉपी डिस्क ड्राइव्ज उच्च तकनीकी हुआ करती थी और कीमत भी बहुत हुआ करती थी।
हार्डडिस्क (hard disk) के आविष्कारक ने फ्लॉपी डिस्क का स्तर गिराकर इसे डाटा स्थानांतरण (Data Transfer) तथा सॉफ्टवेयर स्थापना (Software Installation) की द्वितीयक भूमिका में ला दिया। सीडी-रोम (CD-RW) तथा इंटरनेट के आविष्कारक के साथ ही सॉफ्टवेयर के आकार में बढ़ोतरी ने द्वितीयक भूमिका के रूप में भी फ्लॉपी डिस्क को खतरे में डाल दिया है। फ्लॉपी डिस्क विश्वव्यापी होने के कारण यह अभी भी अपने मूल रूप में दस से अधिक वर्षों से अपरिवर्तित है। 3.5 इंच के 1.44 MB का फ्लॉपी पिछले दस वर्षों में बने प्रत्येक पीसी (PC) पर वास्तविक रूप में मौजूद है जिस कारण यह अभी भी एक उपयोगी उपकरण की तरह है।
2. सीम्म (SIMM)
सीम्स (SIMM) को सिंगल इनलाइन मेमोरी मॉड्यूल (Single In-line Memory Module) कहा जाता है। यह एक प्रकार का मेमोरी मॉड्यूल है, जिस पर्सनल कम्प्यूटरों में रैण्डम एक्सेस मेमोररी के लिए प्रयोग किया जाता है। अधिकतर पुराने पर्सनल कम्प्यूटरों के मदरबोर्ड जैसे 8088 आधारित PC तथा XT में सॉकेट युक्त (Socketed) डी.आई.पी. चिप (DIP Chips) का प्रयोग होता था।
80286 आधारित कम्प्यूटर के आगमन के बाद जिसमें अधिक मेमोरी का प्रयोग हो सकता था, मेमोरी मॉड्यूल को मदबोर्ड पर जगह बचाने तथा मेमोरी विस्तार को आसान बनाने के उद्देश्य से विकसित किया गया।
DIMM का पूर्ण रूप डयुअल इनलाइन मेमोरी मॉड्यूल (Dual in-line Memory Module) होता है। इसमें Random Access Memory इंट्रीग्रेटेड सर्किट की एक श्रृंखला (series) शामिल होती है। ये मॉड्यूल (Modules) एक सर्किट बोर्ड पर छपे हुए होते हैं। तथा पर्सनल कम्प्यूटरों में उपयोग के लिए डिजाइन किये जाते हैं।
DIMM |
4. मैग्नेटिक टेप (Magnetic Tap)
मैग्नेटिक टेप एक सेकण्डरी स्टोरेज डिवाइस है। इसमें मैग्नेटिक (Magnetic) पदार्थ लेपित एक पतला फीता होता है। इस टेप का प्रयोग एनालॉग तथा डिजिटल डाटा को स्टोर करने में होता है। यह पुराने दिनों के ऑडियो कैसेट की तरह का होता है। यह एक सिक्वेंशियल एक्सेस मीडिया है तथा इसमें डाटा तुरंत लोकेट नहीं किया जा सकता है। मैग्नेटिक टेप का प्रयोग मुख्य रूप से बड़ी मात्रा में डाटा स्टोरेज में होता है। आज भी इसका प्रयोग संगठनों में डाटा बैकअप के उद्देश्य से किया जाता है।
5. हार्ड डिस्क ड्राइव (Hard disk drive)
हार्ड डिस्क ड्राइव को हार्ड ड्राइव के नाम से भी जानते हैं। यह एक स्थाई (Non-volatile) स्टोरेज डिवाइस होती है। हार्ड डिस्क ड्राइव पी सी का डाटा सेन्टर होती है। यहाँ आप विभिन्न अवसरों पर अपने डाटा तथा प्रोग्राम को स्टोर करते हैं। आपकी हार्ड डिस्क विभिन्न प्रकार के स्थायी स्टोरेज माध्यमों (media) में सबसे महत्वपूर्ण है। अन्य स्थायी स्टोरेज माध्यम जैसे –फ्लॉपी डिस्क, सीडी रोम, टेप स्थानांतरणीय (removable) होते हैं। हार्डडिस्क अन्य से प्रकार जैसे इनके आकार, गति तथा स्वायित्व के हिसाब से अलग-अलग होती है।
Hard disk drive |
6. आप्टिकल डिस्क (Optical Disk)
Optical Disk एक फ्लैट वृत्ताकार सामान्यत: डिस्क होती है, जिस पर डाटा एक फ्लैट सतह के भीतर पिट्स (या बम्ब) के रूप में स्टोर किया जाता है। यह डाटा सामान्यत: तब एक्सेस होता है, जब डिस्क पर स्थित एक विशेष द्रव्य (प्राय: एल्यूमिनियम) को लेजर (laser) डायोड से इल्युमिनेट (illuminate) किया जाता है। पिट्स परावर्तित लेजर (laser) प्रकाश को विकृत (destroy) करती है।
Optical Disk |
7. ब्ले रे डिस्क (Blue ray Disk)
Blue ray disk डिस्क इसकी टेक्नोलॉजी (Technology) से ही लिया गया है। जो नीली-बैंगनी लेजर का प्रयोग डाटा को पढ़ने तथा लिखने में करता है। अब आप कई फिल्मों को एक ब्लू रे डिस्क में समा सकते हैं।
Blue ray Disk |
Blue Ray, blue ray disk के नाम से भी जानी जाती है। Blue ray Disk Optical disk की अगली पीढ़ी का नाम है। इस प्रारूप को उच्च परिभाषा (High Definition) वाली वीडियो रिकॉर्डिंग, रिसाइटिंग (rewriting) और प्लेबैक को सक्षम करने के लिए विकसित किया गया था। साथ ही इसका उद्देश्य बड़ी मात्रा में डाटा स्टोरेज भी था। यह एक लेयर वाली डिस्क में 25 गीगाबाइट और दोहरी लेयर वाली डिस्क में 50 गीगाबाइट डाटा स्टोर कर सकता है।
8. कार्टेज टेप (Cartridge Tape)
अधिकतर आधुनिक कार्टेज टेप रील (reels) का प्रयोग करते हैं, जो पुराने 10.5 इंच खुले रीलों (open reels) से बहुत छोटे होते हैं तथा टेप की सुरक्षा तथा संचालन में सहजता हेतु कार्टेज के अंदर लगे (fix) होते हैं। 1970 के दशक के अंत तथा 1980 के शुरुआती दशक के घरेलू कम्प्यूटरों में कॉम्पेक्ट कैसेट का प्रयोग होता था, जिनकी कोडिंग कैन्सास सिटी स्टैण्डर्ड के आधार पर की जाती थी। आधुनिक कार्टेज फॉरमेट में एल.टी.ओ. (LTO), डी.एल.टी. (DLT) तथा डैट/डी.डी.सी (DAT/DDC) होते हैं।
9. कॉम्पैक्ट डिस्क तथा कॉम्पैक्ट डिस्क ड्राइव (Compact Disk and Compact Disk Drive)
CD तथा DVD इन दिनों में हर जगह है। इनका प्रयोग संगीत, तथा कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर स्टोर करने में होता है। इनका प्रयोग सूचना वितरण के एक विश्वस्त माध्यम के रूप में आम है। यह माध्यम इतना सस्ता है कि कम कीमत वाली किताबों, पत्रिकाओं के साथ आपको मुफ्त सी.डी. का प्रस्ताव आमतौर पर मिल जाता है। यदि आपके पास कम्प्यूटर तथा CD ड्राइव है तो आप भी सूचना को CD में स्टोर कर सकते हैं।
कम्प्यूटर में स्टोरेज का महत्व (Importance of Storage in Computer System)
CD तथा DVD इन दिनों में हर जगह है। इनका प्रयोग संगीत, तथा कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर स्टोर करने में होता है। इनका प्रयोग सूचना वितरण के एक विश्वस्त माध्यम के रूप में आम है। यह माध्यम इतना सस्ता है कि कम कीमत वाली किताबों, पत्रिकाओं के साथ आपको मुफ्त सी.डी. का प्रस्ताव आमतौर पर मिल जाता है। यदि आपके पास कम्प्यूटर तथा CD ड्राइव है तो आप भी सूचना को CD में स्टोर कर सकते हैं।
10. सेकेण्डरी स्टोरेज (Secondary Storage)
सेकण्डरी स्टोरेज को Auxiliary Storage (सहायक संग्रहण) भी कहा जाता है। यह एक Long Term नॉन-वोलाटाइल (Non-volatile) मेमोरी है। यद्यपि ROM भी नॉन-वोलाटाइल जिसमें डाटा एड (add) नहीं किया जा सकता है। डाटा स्टोर करने के अलावा सेकण्डरी स्टोरेज एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर को डाटा ट्रांसफर (data Transfer) करने में भी उपयोगी है। फ्लॉपी डिस्क, हार्ड डिस्क, कॉम्पैक्ट डिस्क आदि सेकेण्डरी स्टोरेज के उदाहरण है।
सेकण्डरी स्टोरेज को Auxiliary Storage (सहायक संग्रहण) भी कहा जाता है। यह एक Long Term नॉन-वोलाटाइल (Non-volatile) मेमोरी है। यद्यपि ROM भी नॉन-वोलाटाइल जिसमें डाटा एड (add) नहीं किया जा सकता है। डाटा स्टोर करने के अलावा सेकण्डरी स्टोरेज एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर को डाटा ट्रांसफर (data Transfer) करने में भी उपयोगी है। फ्लॉपी डिस्क, हार्ड डिस्क, कॉम्पैक्ट डिस्क आदि सेकेण्डरी स्टोरेज के उदाहरण है।
11. विन्चेस्टर डिस्क (Winchester Disk)
IBM 3340 डायरेक्ट एक्सेस स्टोरेज फैसिलिटी कोड (Direct Access Storage Facility Code) जिसका नाम विन्चेस्टर रखा गया का आगमन मार्च 1973 में हुआ था। इसको IBM सिस्टम 1370 में प्रयोग करने के लिए लाया गया था। इसके रिमूमवेबल पैक्स (removable) डिस्क पैक्स को सील कर दिया जाता था तथा इसमें हेड और आर्म एसेम्बली सम्मिलित होते थे। इसका एक्सेस समय 25 मिलीसेकण्ड था तथा डाटा 885 किलोबाइट प्रति सेकण्ड की गति दर से स्थानान्तरित (transfer) होता था।
IBM 3340 डायरेक्ट एक्सेस स्टोरेज फैसिलिटी कोड (Direct Access Storage Facility Code) जिसका नाम विन्चेस्टर रखा गया का आगमन मार्च 1973 में हुआ था। इसको IBM सिस्टम 1370 में प्रयोग करने के लिए लाया गया था। इसके रिमूमवेबल पैक्स (removable) डिस्क पैक्स को सील कर दिया जाता था तथा इसमें हेड और आर्म एसेम्बली सम्मिलित होते थे। इसका एक्सेस समय 25 मिलीसेकण्ड था तथा डाटा 885 किलोबाइट प्रति सेकण्ड की गति दर से स्थानान्तरित (transfer) होता था।
12. मैग्नेटिक डिस्क (Magnetic Disk)
मैग्नेटिक डिस्क एक अलग प्रकार की सिक्वेंशियल एक्सेस वाली स्टोरेज डिवाइस है, परंतु यह डायरेक्ट एक्सेस स्टोरेज के लिए भी काफी अच्छी है, जो मैग्नेटिक टेप में संभव नहीं है। मैग्नेटिक डिस्क दो रूप में हो सकती है-
a. Hard Disk (हार्ड डिस्क)
b. Diskettes or Floppy Disk (डिस्केट अथवा फ्लॉपी डिस्क)
मैग्नेटिक डिस्क एक अलग प्रकार की सिक्वेंशियल एक्सेस वाली स्टोरेज डिवाइस है, परंतु यह डायरेक्ट एक्सेस स्टोरेज के लिए भी काफी अच्छी है, जो मैग्नेटिक टेप में संभव नहीं है। मैग्नेटिक डिस्क दो रूप में हो सकती है-
a. Hard Disk (हार्ड डिस्क)
b. Diskettes or Floppy Disk (डिस्केट अथवा फ्लॉपी डिस्क)
कम्प्यूटर में स्टोरेज का महत्व (Importance of Storage in Computer System)
जब आप अपनी परीक्षा की तैयारी कर रहे होते हैं, तो सबसे पहली चीज जो आप चाहते हैं, वह यह है कि आप जो कुछ पढ़ते हैं वह आपको याद हो जाये। अर्थात् उन चीजों का रिकॉर्ड रखना चाहते हैं, जिन्हें आपने पूर्व में पढ़ा है। अब प्रश्न यह है कि यह कितना महत्वपूर्ण है। उत्तर आपके ही पास है। यह उतना ही महत्वपूर्ण है जितना आपके लिए अपने दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों को याद रखने में सक्षम न हो। इसी प्रकार, यदि कम्प्यूटर में स्टोरेज क्षमता न होती तो सम्भवत: इसने इस प्रकार से मानव जाति को प्रभावित न किया होता। मेमोरी कम्प्यूटर के अत्यंत अद्भुत गुणों में एक है।
स्टोरेज डिवाइस कम्प्यूटर का वह हार्डवेयर पार्ट है, जिसका प्रयोग डाटा को इसमें स्टोर करने तथा स्टोर किये गये डाटा को इससे पढ़ने में होता है।
कम्प्यूटरों में एक से अधिक मेमोरी (Storage device) होती है। हम उनको सामान्यत: प्राइमरी और सेकेण्डी मेमोरी के रूप में वर्गीकृत कर सकते हैं। प्राइमरी मेमोरी का अस्थायी मेमोरी के रूप में प्रयोग होता है, जिसका कार्य गणना संक्रियाओं (Calculation Processes) तथा अस्थायी मानों (Values) को जिन्हें तेजी के साथ एक्सेस तथा अपडेट करने की आवश्यकता होती है, को स्टोर करना है। प्राइमरी मेमोरी की विषय-वस्तु (Contents) बिजली के चले जाने के पश्चात् समाप्त हो जाती है। प्राइमरी मेमोरी प्रोग्राम के एक्जिक्यूशन के दौरान महत्वपूर्ण होती है। बड़े प्रोग्रामों को अधिक प्राइमरी मेमोरी की आवश्यकता होती है। RAM (Random Access Memory), कैशे (Caches) तथा बफर (Buffers) प्राइमरी मेमोरी के कुछ उदाहरण हैं।
सेकेण्डरी मेमोरी अक्सर हार्डडिस्क, टेप ड्राइव तथा रिमूवेबल डिस्क ड्राइव्ज के रूप में आती है। सेकेण्डरी मेमोरी का प्रयोग अधिकतर सिस्टम के डाटा, प्रोग्राम तथा अन्य स्थायी (Permanent) डाटा को स्टोर करनेके लिए किया जाता है, जो पॉवर के जाने पर भी नष्ट (Lost) नहीं होता है। कम्प्यूटर में बड़े प्रोग्राम तथा डाटा को प्रविष्ट (Fed) होते हैं, जिन्हें स्टोर करने के लिए सेकेण्डरी मेमोरी की आवश्यकता होती है।