क्या आप लोग जानते हैं कम्प्यूटर लैंग्वेज (Computer Language) क्या होती है और हम इसका यूज क्यों करते हैं। जैसा कि आप लोग जानते ही होंगे कि विश्व में किसी भी देश या किसी भी राज्य की अपनी-अपनी भाषाएँ होती हैं और वे इन्हीं भाषाओं के माध्यम से एक-दूसरे से बातचीत करते हैं और एक-दूसरे को समझते हैं वैसे ही कम्प्यूटर की भी एक language होती है, जिसे कम्प्यूटर लैंग्वेज (Computer Language) कहते हैं और उसी के माध्यम से कम्प्यूटर कार्य करता है। आज हम जानेंगे कि कम्प्यूटर लैंग्वेज (Computer Language) क्या होती है।
कम्प्यूटर लैंग्वेज (Computer Language) क्या है?
कम्प्यूटर एक कृत्रिम बुद्धि है, जो स्वयं कार्य नहीं करता है। कम्प्यूटर से अपनी इच्छानुसार कार्य करवाने के लिए हमें उसे निर्देश या कमांड देने की आवश्यकता होती है, जिसके माध्यम से हम कम्प्यूटर से किसी भी तरह का कार्य करवा सकते हैं। इसके लिए हमें Hardware की आवश्यकता होती है जैसे – Keyboard, Mouse इसी के माध्यम से हम कम्प्यूटर का निर्देश देते हैं, फिर कम्प्यूटर उस निर्देश को पढ़ता है और उसे कम्प्यूटर लैंग्वेज में बदलता है, हमें परिणाम प्राप्त होता है और हम उसे विशेष कार्य के लिए Store करते हैं।
जिस प्रक्रिया द्वारा प्रोग्राम को लिखा जाता है, उसे Programming कहते हैं। जिस लैंग्वेज या Code में प्रोग्राम को लिखते हैं, उसे Programming लैंग्वेज कहते हैं। और जिस व्यक्ति द्वारा Computer Program को तैयार किया जाता है उस व्यक्ति को Programmer कहते हैं।
What is Computer Language in hindi. |
कम्प्यूटर लैंग्वेज दो प्रकार की होती है -
1. मशीनी लैंग्वेज
2. असेम्बली लैंग्वेज
मशीनी लैंग्वेज (Machine Language)
यह कम्प्यूटर की आधारभूत भाषा है। यह Binary Code में 0 और 1 के रूप में लिखी जाती है। यह एक ऐसी कम्प्यूटर Programming language है, जो कम्प्यूटर द्वारा बहुत आसानी से समझ लेता है। मशीनी भाषा को किसी अनुवादक प्रोग्राम (Translator Program) की जरूरत नहीं होती है। इसके कार्य करने की गति भी तेज होती है, परंतु मशीनी लैंग्वेज (Machine Language) में प्रोग्रामों को लिखना बहुत कठिन होता है। इसमें गलतियाँ (Error) भी अधिक होती है। मशीनी लैंग्वेज (Machine Language) को लिखने में समय अधिक लगता है। शुरुआत में कम्प्यूटर में सभी प्रोग्राम इसी लैंग्वेज में लिखे जाते थे।
मशीनी लैंग्वेज के निर्देश दो भागों में होते हैं। पहला भाग कमांड या ऑपरेशन कोड (Operation Code) और दूसरा भाग लोकेशन कोड या आपरेंड (Location Code or operand) होते हैं। ऑपरेशन कोड कम्प्यूटर को यह बताता है कि क्या काम करना है। दूसरा भाग आपरेंड जो Computer Memory में प्रोसेस किए जाने वाले डाटा की स्थिति (Location) बताता है। मशीनी लैंग्वेज को निम्न स्तरीय भाषा कहा जाता है। यह पहली पीढ़ी की लैंग्वेज है।
मशीनी भाषा (Machine Language) के लाभ
a. Machine language के क्रियान्वयन के लिए ट्रांसलेशन सॉफ्टवेयर (Translator Software) की आवश्यकता नहीं होती।
मशीनी लैंग्वेज (Machine Language)
यह कम्प्यूटर की आधारभूत भाषा है। यह Binary Code में 0 और 1 के रूप में लिखी जाती है। यह एक ऐसी कम्प्यूटर Programming language है, जो कम्प्यूटर द्वारा बहुत आसानी से समझ लेता है। मशीनी भाषा को किसी अनुवादक प्रोग्राम (Translator Program) की जरूरत नहीं होती है। इसके कार्य करने की गति भी तेज होती है, परंतु मशीनी लैंग्वेज (Machine Language) में प्रोग्रामों को लिखना बहुत कठिन होता है। इसमें गलतियाँ (Error) भी अधिक होती है। मशीनी लैंग्वेज (Machine Language) को लिखने में समय अधिक लगता है। शुरुआत में कम्प्यूटर में सभी प्रोग्राम इसी लैंग्वेज में लिखे जाते थे।
मशीनी लैंग्वेज के निर्देश दो भागों में होते हैं। पहला भाग कमांड या ऑपरेशन कोड (Operation Code) और दूसरा भाग लोकेशन कोड या आपरेंड (Location Code or operand) होते हैं। ऑपरेशन कोड कम्प्यूटर को यह बताता है कि क्या काम करना है। दूसरा भाग आपरेंड जो Computer Memory में प्रोसेस किए जाने वाले डाटा की स्थिति (Location) बताता है। मशीनी लैंग्वेज को निम्न स्तरीय भाषा कहा जाता है। यह पहली पीढ़ी की लैंग्वेज है।
मशीनी भाषा (Machine Language) के लाभ
a. Machine language के क्रियान्वयन के लिए ट्रांसलेशन सॉफ्टवेयर (Translator Software) की आवश्यकता नहीं होती।
b. Machine language में प्रोग्राम के क्रियान्वयन की गति तेज होती है।
c. Machine language को बाइनरी कोड (0,1) के रूप में लिखा जाता है।
d. Machine language कम्प्यूटर द्वारा बहुत आसानी से समझ आने वाली भाषा है।
मशीनी भाषा (Machine Language) की कमियाँ
d. Machine language कम्प्यूटर द्वारा बहुत आसानी से समझ आने वाली भाषा है।
मशीनी भाषा (Machine Language) की कमियाँ
a. Machine language में गलतियाँ (Error) होने की संभावना अधिक होती है।
b. Machine language में प्रोग्रामों को लिखना कठिन होता है।
c. Machine language में प्रोग्रामों को लिखने में अधिक समय लगता है।
d. Machine language में गलतियों (Errors) को सुधारना कठिन होता है।
असेम्बली भाषा (Assembly Language)
मशीनी लैंग्वेज में लिखे प्रोग्राम (0,1) की कमियों को दूर करने के लिए असेम्बली भाषा (Assembly Language) का विकास हुआ। इसमें गणितीय एवं तार्किक कार्यो के लिए बाइनरी कोड (0,1) के स्थान पर संकेत व चिह्न का प्रयोग किया जाता है, जिसे Symbolic Language कहते हैं। इसमें न्यूमेरिक कोड का प्रयोग किया जाता हे, जिसका एक निश्चित कार्य होता है। जैसे – जोड़ने के लिए (ADD), घटाने के लिए (SUB), LDA (Load), TRAN (Translation) आदि।
अलग-अलग Computer या Software के लिए न्यूमेरिक कोड अलग-अलग होते हैं। असेम्बली कोड को मशीनी कोड में एक प्रोग्राम द्वारा परिवर्तित किया जाता है। जिसे असेम्बलर (Assembler) कहा जाता है। असेम्बली भाषा (Assembly Language) में प्रोग्राम लिखना सरल होता है, इससे समय की बचत होती है और त्रुटियों (Errors) को आसानी से ढूँढा जा सकता है। असेम्बली भाषा (Assembly Language) में लिखे प्रोग्राम Source Program कहलाते हैं।
असेम्बली भाषा (Assembly Language) के लाभ
a. असेम्बली भाषा बोलचाल की भाषा के करीब है। अत: इस भाषा में प्रोग्राम लिखना मशीन भाषा की अपेक्षा सरल होता है।
b. इसमें न्यूमेरिक कोड का प्रयोग किया जाता है, जिसका एक निश्चित अर्थ होता है।
c. Assembly Language में प्रोग्रामों में गलतियों को खोजना और उन्हें ठीक करना मशीन भाषा की अपेक्षा आसान होता है।
असेम्बली भाषा (Assembly Language) की कमियाँ
a. असेम्बली भाषा कम्प्यूटर हार्डवेयर के प्रकार पर निर्भर करता है। अत: इस भाषा में लिखे प्रोग्राम मशीन के ऊपर निर्भर (Machine Dependent) होते हैं।
b. Assembly Language में गणितीय एवं तार्किक कार्यों का प्रयोग नहीं किया जाता है।
c. अलग-अलग कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर के लिए न्यूमेरिक कोड अलग-अलग होता है।
d. Assembly Language के प्रोग्राम के क्रियान्वयन में अधिक समय लगता है।
e. अलग-अलग कम्प्यूटर हार्डवेयर के लिए असेम्बलर सॉफ्टवेयर अलग-अलग होता है।
उच्च स्तरीय भाषा (High Level language)
ये सामान्यत: सांकेतिक भाषाएँ होती हैं, जिसमें गणितीय एवं तार्किक निर्देशों के रूप में जिसे अँग्रेजी में लिखा जाता है। इसके उपयोग के लिए Computer Program के आंतरिक परिपथ का ज्ञान होना आवश्यक नहीं हैं। यह तीसरी पीढ़ी (3rd Generation) की Language है। Assembly Language का प्रयोग कम्प्यूटर और Software में आसानी से किया जा सकता है।
इस Language को प्रयोग करने से पहले कम्पाइलर या इंटरप्रेटर द्वारा Machine Language में परिवर्तित किया जाता है। कम्पाइलर या इण्टरप्रेटर Source Program को Object program में परिवर्तित करता है। कम्पाइलर और इंटरप्रेटर का प्रयोग प्रत्येक language के लिए अलग-अलग किया जाता है।
प्रमुख उच्च स्तरीय भाषाएँ (High Level Language)
1. फोट्रॉन (Fortran) – Formula Translation
2. बेसिक (Basic) – Beginner’s all purpose symbolic Instruction code
यह एक सरल व शक्तिशाली Language है। जिसका विकास 1964 में प्रोफेसर जॉन जार्ज केमिनी (John Jorje kemeny) तथा थॉमस यूजीन फुर्टज (Thomas Eugene Kurtz) ने किया। इसका प्रयोग गणितीय तथा व्यावसायिक कार्यों के लिए किया जाता है। यह विश्व में सबसे अधिक प्रयोग में आने वाली भाषा है।
यह Microsoft द्वारा बनाई गई Quick basic, Visual basic or Object Oriented programming language है।
3. पास्कल (Pascal) – इस भाषा का विकास 1971 में स्विट्जरलैण्ड के प्रोफेसर निकलॉस विर्थ (Nicklaus Writh) द्वारा किया गया। इसका नामकरण कम्प्यूटर के जनक कहे जाने वाले ब्लेज पास्कल (Blaise Pascal) के नाम पर किया गया। इस समय अन्य भाषाओं में जो कमी थी, उसे पास्कल में प्रदान करने की कोशिश की गई। इस भाषा में संरचित प्रोग्रामिंग तकनीकों (Structure Programming Technique) की सुविधा प्रदान की गई। इसे विकसित करने का मूल्य उद्देश्य छात्रों को प्रोग्रामिंग के मूलभूत तत्वों से अवगत कराना था। यह शिक्षण कार्यों के लिए विकसित किया गया।
4. अल्गॉल (ALGOL) – Algorithmic Language
अल्गोल का विकास सन् 1960 में अल्गॉल 58 के नाम से हुआ था। 1960 में इसमें थोड़ा परिवर्तनक अल्गॉल 60 लाया गया। इसका उपयोग वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग उद्देश्य से किया गया जाता है तथा यह गणितीय गणना करने में पूर्ण सक्षम है।
5. कोबोल (COBOL) – Common Business Oriented language
COBOL व्यावसायिक कार्यों के लिए प्रयोग होने वाली language है। इस language में लिखे गए वाक्यों के समूह को Paragraph कहते हैं। सभी Paragraph मिलकर एक सेक्शन बनाते हैं। और सेक्शनों से मिलकर डिविजन बनता है। COBOL में गणितीय शब्दावली के लिए ADD, SUBTRACT OR MULTIPTY का उपयोग होता है। यह अंग्रेजी भाषा की तरह है।
6. लोगो (Logo) – अमेरिका के सिमोर पेपर्ट (Semour Papert) द्वारा विकसित इस भाषा का उपयोग कम उम्र के बच्चों को रेखाचित्र तथा ग्राफिक के माध्यम से कम्प्यूटर की शिक्षा देने के लिए किया गया। इस भाषा का विकास कम्प्यूटर शिक्षा को सरल बनाने हेतु किया गया। लोगो भाषा में चित्रण के लिए एक विशेष प्रकार की त्रिकोणाकार आकृति होती है, जिसे टरटल (Turtle) कहते हैं। इसकी सहायता से चित्रों को सरलता से बनाया जाता है।
7. कोमल (COMOL) – Common Algorithmic Language
सन् 1973 में डेनमार्क के बेनेडिक्ट लॉफस्टड और ब्रौज क्रिस्टनसन के द्वारा विकसित किया गया था। कोमल, बेसिक और पास्कल भाषा का मिला-जुला रूप है, जो छात्रों को शिक्षा देने के लिए डिजाइन किया गया था।
8. जावा (Java) – इस उच्चस्तरीय भाषा (High Level Language) का विकास सन् माइक्रो सिस्टम के जेम्स गॉसलिंग द्वारा किया गया था। 1995 में इसे जारी किया गया। यह C++ की तरह Object Oriented Programming language है पर उसकी अपेक्षा छोटी और सरल है। इसका विकास मुख्यत: इंटरनेट में उपयोग के लिए किया गया। इसका प्रयोग इलेक्ट्रॉनिक उपभोक्ता उत्पादों जैसे – TV, Telephone आदि में भी किया जाता है। एनीमेशन (Animation) आधारित वेबपेज (Webpage), शैक्षिक कार्यक्रम (Tutorial) तथा खेल आदि के विकास में भी इसका प्रयोग किया जाता है। इस भाषा में कम्पाइलर किया गया। कोड मशीन के प्रकार पर निर्भर नहीं करता।
9. PL1 – सन् 1960 में PL1 का विकास IBM (International business machine) के द्वारा व्यावसायिक तथा वैज्ञानिक Applications के लिए किया गया था। यह एक Programming language है
10. सी ( C) – C Programming Language 1970 के दशक में डेनिस रिची द्वारा विकसित किया गया था। कम्पाइलर सारे मशीनों/कम्प्यूटरों पर कार्य करने में सक्षम है। अत: इसका उपयोग बहुत ही व्यापक रूप से होता है। यह सामान्य उद्देशीय (General Purpose) प्रोग्रामिंग भाषा है।
11. सी ++ (C++) – इस High Level Language का विकास ब्रायन करनिंघम द्वारा किया गया था। यह सिस्टम प्रोग्रामिंग के साथ-साथ सामान्य उद्देश्य (General Purpose) Programming language है। यह C से थोड़ा बेहतर है। तथा आब्जेक्ट उन्मुख (Object Oriented) Programming language है। C++ C की अपेक्षा कठिन Programming language है।
12. प्रोलॉग (PROLOG) – Programming in Logic
इसका विकास 1972 में फ्रांस में किया गया। इसमें समस्याओं के समाधान में तर्क की प्रधानता दी जाती है। इसे कृत्रिम बुद्धि (Artificial Intelligence) तथा तार्किक प्रोग्रामिंग (Logical Programming) में प्रयोग किया जाता है।
13. आरपीजी (RPG) – Report Program Generator
यह 1961 में IBM द्वारा विकसित किया गया था। यह सामान्य व्यावसायिक कार्यों द्वारा प्राप्त Report को आउटपुट के रूप में प्रस्तुत करने के लिए बनाई गई भाषा है। यह एक सरल भाषा है। जिसका प्रयोग छोटे व्यावसायिक कम्प्यूटर में किया जा सकता है। इस भाषा का विकास IBM Company द्वारा किया गया है।
14. सी शार्प (C Sharp) – C Sharp को C# भी कहा जाता है। यह Object Oriented Programming language है। जिसका विकास माइक्रोसॉफ्ट ने Internet में प्रयोग के लिए किया। यह भाषा European Computer Manufacturer Association (ECMA) तथा International Standard Organization (ISO) के मानकों द्वारा प्रदत्त है।
15. लिस्प (LISP) – List Processing
इसका विकास 1959 में जॉन मैकार्थी (John Macarthy) द्वारा कृत्रिम बुद्धि (Artificial Intelligence) के प्रयोग में किया गया। यह एक Functional Programming language है। जिसका उपयोग गैर-सांख्यिकी डाटा (Non-Statistical data) के प्रोसेसिंग में किया जाता है। यह (A. I.) Artificial Intelligence में प्रयुक्त सर्वाधिक Popular language है।
1. फोट्रॉन (Fortran) – Formula Translation
फोट्रॉन पहली High level language है, जिसका विकास सन् 1957 में IBM (International Business Machine) के जॉन बेकस (John Backus) ने किया।
इस Language का प्रयोग Matmatical Calculation तथा त्रिकोणमिति के सूत्रों को आसानी से Solve करने जटिल वैज्ञानिक Calculation करने में किया गया है।
फोट्रॉन बीजगणित (Algebra) पर आधारित Programming language है। 1966 में ANSI (American National Standard Institute) का मानकीकरण किया।
2. बेसिक (Basic) – Beginner’s all purpose symbolic Instruction code
यह एक सरल व शक्तिशाली Language है। जिसका विकास 1964 में प्रोफेसर जॉन जार्ज केमिनी (John Jorje kemeny) तथा थॉमस यूजीन फुर्टज (Thomas Eugene Kurtz) ने किया। इसका प्रयोग गणितीय तथा व्यावसायिक कार्यों के लिए किया जाता है। यह विश्व में सबसे अधिक प्रयोग में आने वाली भाषा है।
यह Microsoft द्वारा बनाई गई Quick basic, Visual basic or Object Oriented programming language है।
3. पास्कल (Pascal) – इस भाषा का विकास 1971 में स्विट्जरलैण्ड के प्रोफेसर निकलॉस विर्थ (Nicklaus Writh) द्वारा किया गया। इसका नामकरण कम्प्यूटर के जनक कहे जाने वाले ब्लेज पास्कल (Blaise Pascal) के नाम पर किया गया। इस समय अन्य भाषाओं में जो कमी थी, उसे पास्कल में प्रदान करने की कोशिश की गई। इस भाषा में संरचित प्रोग्रामिंग तकनीकों (Structure Programming Technique) की सुविधा प्रदान की गई। इसे विकसित करने का मूल्य उद्देश्य छात्रों को प्रोग्रामिंग के मूलभूत तत्वों से अवगत कराना था। यह शिक्षण कार्यों के लिए विकसित किया गया।
4. अल्गॉल (ALGOL) – Algorithmic Language
अल्गोल का विकास सन् 1960 में अल्गॉल 58 के नाम से हुआ था। 1960 में इसमें थोड़ा परिवर्तनक अल्गॉल 60 लाया गया। इसका उपयोग वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग उद्देश्य से किया गया जाता है तथा यह गणितीय गणना करने में पूर्ण सक्षम है।
5. कोबोल (COBOL) – Common Business Oriented language
COBOL व्यावसायिक कार्यों के लिए प्रयोग होने वाली language है। इस language में लिखे गए वाक्यों के समूह को Paragraph कहते हैं। सभी Paragraph मिलकर एक सेक्शन बनाते हैं। और सेक्शनों से मिलकर डिविजन बनता है। COBOL में गणितीय शब्दावली के लिए ADD, SUBTRACT OR MULTIPTY का उपयोग होता है। यह अंग्रेजी भाषा की तरह है।
6. लोगो (Logo) – अमेरिका के सिमोर पेपर्ट (Semour Papert) द्वारा विकसित इस भाषा का उपयोग कम उम्र के बच्चों को रेखाचित्र तथा ग्राफिक के माध्यम से कम्प्यूटर की शिक्षा देने के लिए किया गया। इस भाषा का विकास कम्प्यूटर शिक्षा को सरल बनाने हेतु किया गया। लोगो भाषा में चित्रण के लिए एक विशेष प्रकार की त्रिकोणाकार आकृति होती है, जिसे टरटल (Turtle) कहते हैं। इसकी सहायता से चित्रों को सरलता से बनाया जाता है।
7. कोमल (COMOL) – Common Algorithmic Language
सन् 1973 में डेनमार्क के बेनेडिक्ट लॉफस्टड और ब्रौज क्रिस्टनसन के द्वारा विकसित किया गया था। कोमल, बेसिक और पास्कल भाषा का मिला-जुला रूप है, जो छात्रों को शिक्षा देने के लिए डिजाइन किया गया था।
8. जावा (Java) – इस उच्चस्तरीय भाषा (High Level Language) का विकास सन् माइक्रो सिस्टम के जेम्स गॉसलिंग द्वारा किया गया था। 1995 में इसे जारी किया गया। यह C++ की तरह Object Oriented Programming language है पर उसकी अपेक्षा छोटी और सरल है। इसका विकास मुख्यत: इंटरनेट में उपयोग के लिए किया गया। इसका प्रयोग इलेक्ट्रॉनिक उपभोक्ता उत्पादों जैसे – TV, Telephone आदि में भी किया जाता है। एनीमेशन (Animation) आधारित वेबपेज (Webpage), शैक्षिक कार्यक्रम (Tutorial) तथा खेल आदि के विकास में भी इसका प्रयोग किया जाता है। इस भाषा में कम्पाइलर किया गया। कोड मशीन के प्रकार पर निर्भर नहीं करता।
9. PL1 – सन् 1960 में PL1 का विकास IBM (International business machine) के द्वारा व्यावसायिक तथा वैज्ञानिक Applications के लिए किया गया था। यह एक Programming language है
सिवाय इसके कि यह बहुउद्देशीय प्रसाधन देने के कारण छोटे Machino के लिए बहुत बड़ा है।
10. सी ( C) – C Programming Language 1970 के दशक में डेनिस रिची द्वारा विकसित किया गया था। कम्पाइलर सारे मशीनों/कम्प्यूटरों पर कार्य करने में सक्षम है। अत: इसका उपयोग बहुत ही व्यापक रूप से होता है। यह सामान्य उद्देशीय (General Purpose) प्रोग्रामिंग भाषा है।
11. सी ++ (C++) – इस High Level Language का विकास ब्रायन करनिंघम द्वारा किया गया था। यह सिस्टम प्रोग्रामिंग के साथ-साथ सामान्य उद्देश्य (General Purpose) Programming language है। यह C से थोड़ा बेहतर है। तथा आब्जेक्ट उन्मुख (Object Oriented) Programming language है। C++ C की अपेक्षा कठिन Programming language है।
12. प्रोलॉग (PROLOG) – Programming in Logic
इसका विकास 1972 में फ्रांस में किया गया। इसमें समस्याओं के समाधान में तर्क की प्रधानता दी जाती है। इसे कृत्रिम बुद्धि (Artificial Intelligence) तथा तार्किक प्रोग्रामिंग (Logical Programming) में प्रयोग किया जाता है।
13. आरपीजी (RPG) – Report Program Generator
यह 1961 में IBM द्वारा विकसित किया गया था। यह सामान्य व्यावसायिक कार्यों द्वारा प्राप्त Report को आउटपुट के रूप में प्रस्तुत करने के लिए बनाई गई भाषा है। यह एक सरल भाषा है। जिसका प्रयोग छोटे व्यावसायिक कम्प्यूटर में किया जा सकता है। इस भाषा का विकास IBM Company द्वारा किया गया है।
14. सी शार्प (C Sharp) – C Sharp को C# भी कहा जाता है। यह Object Oriented Programming language है। जिसका विकास माइक्रोसॉफ्ट ने Internet में प्रयोग के लिए किया। यह भाषा European Computer Manufacturer Association (ECMA) तथा International Standard Organization (ISO) के मानकों द्वारा प्रदत्त है।
15. लिस्प (LISP) – List Processing
इसका विकास 1959 में जॉन मैकार्थी (John Macarthy) द्वारा कृत्रिम बुद्धि (Artificial Intelligence) के प्रयोग में किया गया। यह एक Functional Programming language है। जिसका उपयोग गैर-सांख्यिकी डाटा (Non-Statistical data) के प्रोसेसिंग में किया जाता है। यह (A. I.) Artificial Intelligence में प्रयुक्त सर्वाधिक Popular language है।
disadvantage of High level language -
a. उपयोग से पहले कम्पाइलर या इंटरप्रेटर द्वारा मशीनी भाषा में बदला जाता है।
b. प्रत्येक भाषा के लिए अलग-अलग कम्पाइलर या इंटरप्रेटर का प्रयोग करना पड़ता है।
b. प्रत्येक भाषा के लिए अलग-अलग कम्पाइलर या इंटरप्रेटर का प्रयोग करना पड़ता है।
Achhi JanKari hai
जवाब देंहटाएं