आज हम इस लेख के माध्यम से कंप्यूटर की पीढ़ी (Generation of computer in hindi) के बारे में जानेगे हम जानेगे की कंप्यूटर की पीढ़ीयो के बारे में जानेगे। Computer की 5 पीढ़ीया होती है। जोकि निम्न होती है।
कंप्यूटर की पीढ़ी (Generation of computer)
इलेक्ट्रॉनिक डाटा प्रोसेसिंग के क्षेत्र में जो विशेष विकास हुए हैं उन्हें ही हम कंप्यूटर की पीढ़ी के रूप में देखते हैं कंप्यूटर तकनीक का लक्ष्य छोटे रास्ते तथा ज्यादा सक्षम कंप्यूटर का विकास करना है
पिछले 50 वर्षों में कंप्यूटर के विकास की गति काफी तेज हुई है जिसमें पांच प्रमुख चरणों में बांटा गया है और प्रत्येक चरण को हम एक पीढ़ी कहते हैं इनकी पांच पीढ़ी लिया है
कंप्यूटर का युग की पहली पीढ़ी (First Generation) सन 1946 ईसवी में शुरू हुई जब पहला कंप्यूटर निर्मित हुआ इस पीढ़ी के सभी कंप्यूटर मुख्यतः निर्वात ट्यूब या वाल्व से बने होते थे
आज भारत भी उन गिने-चुने देशों में से एक है जिसके पास सुपर कंप्यूटर विद्यमान हैं भारतीय वैज्ञानिक सुपर कप्यूटर का और आगे विकास पर उसकी क्षमता में बढ़ोतरी कर रहे हैं भारत की सर्वप्रथम सीडीएसी (CDAC) नामक संस्था ने सुपर कंप्यूटर के विकास के क्षेत्र में काम किया।
भारत का पहला सुपर कंप्यूटर परम (PARAM 1000) का निर्माण किया प्राप्त जानकारी के अनुसार सीडेक ने दूसरा तथा ज्यादा विकसित सुपर कंप्यूटर परम 1000 का निर्माण कर देश विश्वास में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है
इस सुपर कंप्यूटर का उपयोग भारतीय वैज्ञानिक परमाणु अनुसंधान के कार्य के लिए कर रहे हैं जैसे-जैसे कंप्यूटर की पीढ़ी बढ़ती गई वैसे-वैसे कंप्यूटर की काम करने की क्षमता संचय की छमता में अभूतपूर्व प्रगति होती गई और कंप्यूटर का आकार कम होता गया
★ पहली पीढ़ी (First Generation) के कंप्यूटर का सबसे ज्यादा प्रयोग वैज्ञानिक कार्यों में किया गया।
★ इन कंप्यूटर का उपयोग कृषि कार्यों में भी अधिकतर किया गया।
★ यह कंप्यूटर निर्वात युग की सहायता से अधिक ऊष्मा उत्पन्न कर सकते थे इसी कारण इन्हें वातानुकूलित वातावरण में रहना पड़ता था।
पहली पीढ़ी (First Generation) के कंप्यूटर की कमियां-
★ यह कंप्यूटर आकार में बहुत बड़े होते थे।
★ इसका उपयोग बहुत कम किया जाता था।
★ यह बहुत खर्चीला होते थे ।
★ इनमें त्रुटि होने की संभावना अधिक होती थी ।
★ यह कंप्यूटर बहुत ही स्लो कार्य का किया करते थे।
विकास की प्रक्रिया के दौरान वैज्ञानिक ने सफलता पाई तथा तीन वैज्ञानिक जेबा डब्लू 1947 ईसवी में एक नया ठोस यंत्र का निर्माण किया इसके लिए उन लोगों को नोबेल पुरस्कार भी प्राप्त हुआ ट्रांजिस्टर की खोज ने कंप्यूटर के क्षेत्र में जबरदस्त उन्नति प्रदान की ट्रांजिस्टर सेमीकंडक्टर से बना होता है जिसका मूल भाग सिलिकॉन का होता है
इसका आकार वेक्यूम ट्यूब का 1/ 200 भाग के आकार का होता है अतः वह को हटाकर ट्रांजिस्टर का उपयोग शुरू कर दिया गया या वेक्यूम ट्यूब की तरह काम करता है परंतु उसी अपेक्षा काफी तेज गति से करता है उसको कम ऊर्जा की जरूरत पड़ती थी
यह कम उष्मा उत्पन्न करता था या हर तरह के वेक्यूम ट्यूब से उन्नत था इसको बनाना तथा उपयोग में लाना काफी सस्ता था और अच्छे किस्म का होने के कारण काफी विश्वासी थे वह सभी कंप्यूटर जिनमें ट्रांजिस्टर का उपयोग किया गया उन्हें पीढ़ी का कंप्यूटर कहा गया
दूसरी पीढ़ी (Second Generation) के कंप्यूटर की विशेषताएं -
★ दूसरी पीढ़ी (Second Generation) के कंप्यूटर में निर्वात ट्यूब का उपयोग ना करके सेमीकंडक्टर का उपयोग किया गया
★ दूसरी पीढ़ी (Second Generation)के कंप्यूटर में (BOS) बैच ऑपरेटिंग सिस्टम की शुरुआत की गई
★ दूसरी पीढ़ी (Second Generation)के कंप्यूटर का अधिकतर उपयोग व्यवसाय में किया गया
★ दूसरी पीढ़ी (Second Generation)के कंप्यूटर फर्स्ट जेनरेशन से काफी अच्छा रहा यह फर्स्ट जनरेशन से ज्यादा स्पीड में कार्य करता था
तृतीय पीढ़ी (Thread Generation) में कंप्यूटर तकनीक में काफी परिवर्तन आया और ट्रांजिस्टर के स्थान पर इंटीग्रेटेड सर्किट जिसमें आई सी का प्रयोग किया गया बहुत सारे ट्रांजिस्टर एवं बिजली के सर्किट को मिलाकर एक नया और छोटा प्रारूप तैयार किया गया
आईसी (IC) का उत्पादन मेटल ऑक्साइड सेमीकंडक्टर अर्थात मास तकनीक के आधार पर किया जाता था
इस तकनीक में निम्न स्तर का एक ही कारण व माध्यमिक स्तर का एकीकरण का उपयोग किया गया इस प्रकार SSI तथा MMI के उपयोग तैयार किए गए सभी कंप्यूटर इस श्रेणी या पीढ़ी में सम्मिलित किए गए हैं
★ तृतीय पीढ़ी (Thread Generation) के कंप्यूटर की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह थी कि इस जनरेशन में कंप्यूटर में डाटा फीड करने के लिए कीबोर्ड का उपयोग किया गया साथ ही
★ इसी समय माउस का उपयोग भी आरंभ हो गया था
★ तृतीय पीढ़ी (Thread Generation) के कंप्यूटर की एक विशेषता यह भी थी की इस समय मॉनिटर का उपयोग किया जाने लगा था
★ तृतीय पीढ़ी (Thread Generation) के कंप्यूटर के उपयोग व्यक्तिगत होने लगा था
★ तृतीय पीढ़ी (Thread Generation) के कंप्यूटर का उपयोग व्यापारिक तथा उद्योगों के लिए भी अधिकतर किया जाने लगा था
पिछले 50 वर्षों में कंप्यूटर के विकास की गति काफी तेज हुई है जिसमें पांच प्रमुख चरणों में बांटा गया है और प्रत्येक चरण को हम एक पीढ़ी कहते हैं इनकी पांच पीढ़ी लिया है
◆ पहली पीढ़ी (First Generation 1942-1955)
कंप्यूटर का युग की पहली पीढ़ी (First Generation) सन 1946 ईसवी में शुरू हुई जब पहला कंप्यूटर निर्मित हुआ इस पीढ़ी के सभी कंप्यूटर मुख्यतः निर्वात ट्यूब या वाल्व से बने होते थे
आज भारत भी उन गिने-चुने देशों में से एक है जिसके पास सुपर कंप्यूटर विद्यमान हैं भारतीय वैज्ञानिक सुपर कप्यूटर का और आगे विकास पर उसकी क्षमता में बढ़ोतरी कर रहे हैं भारत की सर्वप्रथम सीडीएसी (CDAC) नामक संस्था ने सुपर कंप्यूटर के विकास के क्षेत्र में काम किया।
भारत का पहला सुपर कंप्यूटर परम (PARAM 1000) का निर्माण किया प्राप्त जानकारी के अनुसार सीडेक ने दूसरा तथा ज्यादा विकसित सुपर कंप्यूटर परम 1000 का निर्माण कर देश विश्वास में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है
इस सुपर कंप्यूटर का उपयोग भारतीय वैज्ञानिक परमाणु अनुसंधान के कार्य के लिए कर रहे हैं जैसे-जैसे कंप्यूटर की पीढ़ी बढ़ती गई वैसे-वैसे कंप्यूटर की काम करने की क्षमता संचय की छमता में अभूतपूर्व प्रगति होती गई और कंप्यूटर का आकार कम होता गया
★ पहली पीढ़ी (First Generation) के कंप्यूटर का सबसे ज्यादा प्रयोग वैज्ञानिक कार्यों में किया गया।
★ इन कंप्यूटर का उपयोग कृषि कार्यों में भी अधिकतर किया गया।
★ यह कंप्यूटर निर्वात युग की सहायता से अधिक ऊष्मा उत्पन्न कर सकते थे इसी कारण इन्हें वातानुकूलित वातावरण में रहना पड़ता था।
पहली पीढ़ी (First Generation) के कंप्यूटर की कमियां-
★ यह कंप्यूटर आकार में बहुत बड़े होते थे।
★ इसका उपयोग बहुत कम किया जाता था।
★ यह बहुत खर्चीला होते थे ।
★ इनमें त्रुटि होने की संभावना अधिक होती थी ।
★ यह कंप्यूटर बहुत ही स्लो कार्य का किया करते थे।
◆ दूसरी पीढ़ी (Second Generation 1955-1964)
विकास की प्रक्रिया के दौरान वैज्ञानिक ने सफलता पाई तथा तीन वैज्ञानिक जेबा डब्लू 1947 ईसवी में एक नया ठोस यंत्र का निर्माण किया इसके लिए उन लोगों को नोबेल पुरस्कार भी प्राप्त हुआ ट्रांजिस्टर की खोज ने कंप्यूटर के क्षेत्र में जबरदस्त उन्नति प्रदान की ट्रांजिस्टर सेमीकंडक्टर से बना होता है जिसका मूल भाग सिलिकॉन का होता है
इसका आकार वेक्यूम ट्यूब का 1/ 200 भाग के आकार का होता है अतः वह को हटाकर ट्रांजिस्टर का उपयोग शुरू कर दिया गया या वेक्यूम ट्यूब की तरह काम करता है परंतु उसी अपेक्षा काफी तेज गति से करता है उसको कम ऊर्जा की जरूरत पड़ती थी
यह कम उष्मा उत्पन्न करता था या हर तरह के वेक्यूम ट्यूब से उन्नत था इसको बनाना तथा उपयोग में लाना काफी सस्ता था और अच्छे किस्म का होने के कारण काफी विश्वासी थे वह सभी कंप्यूटर जिनमें ट्रांजिस्टर का उपयोग किया गया उन्हें पीढ़ी का कंप्यूटर कहा गया
दूसरी पीढ़ी (Second Generation) के कंप्यूटर की विशेषताएं -
★ दूसरी पीढ़ी (Second Generation) के कंप्यूटर में निर्वात ट्यूब का उपयोग ना करके सेमीकंडक्टर का उपयोग किया गया
★ दूसरी पीढ़ी (Second Generation)के कंप्यूटर में (BOS) बैच ऑपरेटिंग सिस्टम की शुरुआत की गई
★ दूसरी पीढ़ी (Second Generation)के कंप्यूटर का अधिकतर उपयोग व्यवसाय में किया गया
★ दूसरी पीढ़ी (Second Generation)के कंप्यूटर फर्स्ट जेनरेशन से काफी अच्छा रहा यह फर्स्ट जनरेशन से ज्यादा स्पीड में कार्य करता था
◆ तृतीय पीढ़ी (Thread Generation 1964-1975)
तृतीय पीढ़ी (Thread Generation) में कंप्यूटर तकनीक में काफी परिवर्तन आया और ट्रांजिस्टर के स्थान पर इंटीग्रेटेड सर्किट जिसमें आई सी का प्रयोग किया गया बहुत सारे ट्रांजिस्टर एवं बिजली के सर्किट को मिलाकर एक नया और छोटा प्रारूप तैयार किया गया
आईसी (IC) का उत्पादन मेटल ऑक्साइड सेमीकंडक्टर अर्थात मास तकनीक के आधार पर किया जाता था
इस तकनीक में निम्न स्तर का एक ही कारण व माध्यमिक स्तर का एकीकरण का उपयोग किया गया इस प्रकार SSI तथा MMI के उपयोग तैयार किए गए सभी कंप्यूटर इस श्रेणी या पीढ़ी में सम्मिलित किए गए हैं
★ तृतीय पीढ़ी (Thread Generation) के कंप्यूटर की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह थी कि इस जनरेशन में कंप्यूटर में डाटा फीड करने के लिए कीबोर्ड का उपयोग किया गया साथ ही
★ इसी समय माउस का उपयोग भी आरंभ हो गया था
★ तृतीय पीढ़ी (Thread Generation) के कंप्यूटर की एक विशेषता यह भी थी की इस समय मॉनिटर का उपयोग किया जाने लगा था
★ तृतीय पीढ़ी (Thread Generation) के कंप्यूटर के उपयोग व्यक्तिगत होने लगा था
★ तृतीय पीढ़ी (Thread Generation) के कंप्यूटर का उपयोग व्यापारिक तथा उद्योगों के लिए भी अधिकतर किया जाने लगा था
◆ चौथी पीढ़ी (forth Generation 1975 -1989)
कप्यूटर की चौथी पीढ़ी (Forth Generation) में आई सी का स्थान चीप ने ले लिया वैसे देखा जाए तो चीप भी एक तरह का आईसी ही होता है परंतु एक चिप बहुत सारे आईसी का कार्य एक साथ कर सकता है
अर्थात यह चौथी पीढ़ी (Forth Generation) के कंप्यूटर में बड़े स्तर पर भी एकीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई तकनीक का उपयोग कर एक अत्यंत छोटे से आकार के आईसी चिप में बहुत सारे आईसी के कार्यों को कुशलतापूर्वक संपन्न करने की क्षमता का समावेश कर कंप्यूटर का रुप ही बदल दिया गया।
इसी पीढ़ी में माइक्रो प्रोसेसर नामक चिप का भी विकास हुआ जो सीपीयू का सारा कार्य करने में सक्षम था।
★ चौथी पीढ़ी (Forth Generation) की सबसे प्रमुख उपलब्धि यह थी कि इस पीढ़ी में सी लैंग्वेज का उपयोग शुरू किया गया
★ चौथी पीढ़ी (Forth Generation) के कंप्यूटर में माइक्रोप्रोसेसर का उपयोग किया जाने लगा
★ चौथी पीढ़ी (Forth Generation) में कंप्यूटर का साइज भी छोटा हो गया जो थी फोर्थ जनरेशन की बहुत बड़ी सफलता थी
★ LAN तथा WAN जैसे नेटवर्क का विकास और चौथी पीढ़ी में ही हुआ
◆ पांचवी पीढ़ी (fifth generation 1989 से अब तक)
इसी तरह की तकनीक का इस्तेमाल कर हम कंप्यूटर की अगली पीढ़ी में पहुंच गए हैं यहां पर ULSI तकनीक का उपयोग कर बहुत ही प्रभावशाली कप्यूटर का विकास किया गया इस कप्यूटर को सुपर कंप्यूटर की संज्ञा दी गई और ऐसे हम पांचवी पीढ़ी का कंप्यूटर कहते हैं या कंप्यूटर बहुत ही गिने चुने देशों के पास है
पांचवी पीढ़ी (Fight Generation) के कंप्यूटर की विशेषताएं-
★ पांचवी पीढ़ी (fifth generation) में पोर्टेबल कंप्यूटर में विकास किया गया
★ पांचवी पीढ़ी (fifth generation) की कंप्यूटर के नेट की स्पीड अत्यंत तेज हो गई
★ पांचवी पीढ़ी (fifth generation) के कंप्यूटर में नेटवर्किंग में इंटरनेट इमेल आदि का विकास हुआ